जानीए!वीर सावरकरजी का वह साहसी और दूरदर्शी कदम जो आज भी आपको स्वदेशी अपनाओ के मंत्र के लिए प्रेरित करेगा।
आज भारत एक ऐसी परिस्थिती में हैं , जिसे वहां अपने उन्नति का द्वार भी बना सकता है। और इस द्वार को खोलने के लिए चलिए आपको ले चलते हैं इतिहास में।
अंग्रेजो ने अपनी भेद नीति से बंगाल को दो हिस्सो में विभाजीत किया।
उसके बाद लोकमान्य तिलक जी एवं अन्यो ने स्वदेशी आंदोलन संपूर्ण भारत में चलाया।
लोकमान्य तिलक जी ने भारत को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त करने के लिए अंग्रेजों द्वारा बनाई गई वस्तु त्याग का देशभर में एलान किया । उस समय फर्ग्युसन कॉलेज में बीए की पढ़ाई करने वाले छात्र विनायक दामोदर सावरकर जी ने 7 october 1905 को दशहरा के दिन अंग्रेजो द्वारा बनाए गए कपड़ों की होली जलाई।
भारत से कच्चा माल लुटकर ,भारत को हि बेचने वाली अंग्रेजी साम्राज्य को जड़ से उखाड फेंकने वीर सावरकर जी ने यह साहसी कदम उठाया था।
आज विश्व में ,जनसंख्या में द्वितीय स्थान प्राप्त करने वाला भारत ,खीलीनो से लेकर यात्री हवाइ जहाज आयात करता है।
लेकीन आश्चर्य की बात यह हैं कि संपूर्ण विश्व को यही भारत अपने होशियार विद्यार्थी वह चाहे आइ आईटी के इंजीनियर हो या आइ आईएम के मेनेजर हो निर्यात कर रहा है। और वही टेलेन्ट अन्य कंपनियों एवं अन्य देशों के लिए वस्तुएं एवं सेवाएं बना रहे हैं ,जिसका इस्तेमाल भारत देश कर रहा है।
भारत ने भी अपने टैलेंट को पहचान करके ,भारत में ही स्वदेशी वस्तु एवं सर्विस को बनाने का विचार आरंभ करना चाहिए।
वीर सावसकर जी ब्रीटेन में भी पढाई के समय, सदैव भारत माता को आजाद कराने के स्वप्न देखा करते थे।
भारत को प्यार करने वाले , चाहे वह कहीं पर भी बसे हो ,भारत माता को सर्वश्रेष्ठ बनाने के लिए प्रयत्न कर सकते हैं।
क्या आपको भी लगता है, बचपन से ही हम हमारे बच्चों को सावरकर के दिल में जो देश भक्ति थी वैसी देशभक्ति की भावना खड़ी करना चाहिए।
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