क्या हैं बहुचरचीत प्लाज्मा थेरेपी? कैसे लढेगी कोरोना के साथ ?
आपके मन में जानने की जिज्ञासा हो रही होगी।
एकझेटली क्या है प्लाज्मा,प्लाज्मा थेरेपी जानीए तर्क पुर्ण , आसान शाब्दों में।
क्या है प्लाज्मा?
प्लाज्मा रक्त का हिस्सा है। शरीर के कार्य के लिए सफेद रक्त कोशिकाएं(WBC), लाल रक्त कोशिकाएं (RBC)और प्लेटलेट्स महत्वपूर्ण हैं। लेकिन प्लाज्मा भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह द्रव्य पूरे शरीर में रक्त के अवयवों को पहुंचाता है। यह माध्यम है।
प्लाज्मा आपके रक्त का सबसे बड़ा हिस्सा है। यह समग्र रक्त के आधे से अधिक (लगभग 55%) हिस्सा है। जब रक्त के बाकी हिस्सों से अलग किया जाता है, तो प्लाज्मा एक हल्का पीला तरल जैसा दिखता है। प्लाज्मा पानी, लवण(salt) और एंजाइमों को वहन करता है।
प्लाज्मा का मुख्य कार्य पोषक तत्वों, हार्मोन और प्रोटीन को शरीर के उन हिस्सों में ले जाना है, जहां उनकी आवश्यकता है। कोशिकाएं भी अपने कचरों को प्लाज्मा में डाल देता हैं(जैसे आप अपने घर का कचरा कचरे के डब्बे में डाल देता हैं और सुबह मुंशीपलटी वाले आ कर उसको ले जाते हैं. हालांकि उनको पैसा देना पड़ता है जबकि हमारा हीरो प्लाज्मा मुफ्त में कचरा ले जाता है)। प्लाज्मा इस कचरे को शरीर से निकालने में मदद करता है। रक्त प्लाज्मा भी आपके संचार प्रणाली के माध्यम से रक्त के सभी भागों को लेकर चलती है ।
प्लाज्मा आपको कैसे स्वस्थ रखता है?
प्लाज्मा में एंटीबॉडी, clotting factors, और प्रोटीन एल्ब्यूमिन और फाइब्रिनोजेन भी होते हैं। जब आप रक्त दान करते हैं, तो ब्लड बैंक के लोग आपके प्लाज्मा से इन महत्वपूर्ण भागों को अलग कर सकते हैं। इन द्रव्यों का इस्तेमाल करके वे विभिन्न रोगों की विभिन्न दवाओं में इस्तेमाल कर सकते हैं जैसे जलने, आघात, आघात और अन्य आपात स्थितियों से पीड़ित लोगों के जीवन को बचाने में मदद कर सकते हैं।
प्लाज्मा में प्रोटीन और एंटीबॉडी का उपयोग ऑटोइम्यून विकार और हीमोफिलिया जैसे रोगों के लिए भी किया जा सकता है।
प्लाज्मा थेरेपी क्या है?
प्लाज्मा थेरेपी COVID-19 रोगियों का इस्तेमाल एक प्रयोग के रूप में किया जा रहा है। इस उपचार में, COVID-19 रोग से जो ठीक हो गए हैं उन रोगियों का प्लाज्मा उन रोगियों में डाला जाता है दिन की स्थिति गंभीर है एवं जिनकी रोग प्रतिकारक शक्ति एकदम कम हो गई है।
सवाल है ,यह काम किस प्रकार करता है
जिस व्यक्ति को कोराना वायरस रोग हुआ था और वह उससे ठीक हो गया है ,उस व्यक्ति के शरीर में उस रोग से लड़ने के लिए एंटीबॉडीज का निर्माण हो चुका होता है।
हम जानते हैं कि या एंटीबॉडीज प्लाज्मा द्वारा पूरे शरीर में घुमाई जाती है।
अतः प्लाज्मा द्वारा एंटीबॉडी को स्वस्थ हुए रोगी के शरीर से गंभीर हुए रोगी के शरीर में भेजा जाता है।
अतः जो रोगी गंभीर अवस्था में है एवं रोग प्रतिकारक शक्ति कम हो गई है उन व्यक्तियों को अतिरिक्त एंटीबॉडीज के द्वारा रोग के सामने लड़ने की अतिरिक्त शक्ति मिलती है।
रोचक बात यह है, रक्तदान की तरह सिर्फ एक बार नहीं लेकिन सप्ताह में दो बार दीया जा सकता है, वह भी लाल रक्त कोशिकाओं अपने शरीर में बरकरार रखते हुए।
अतः कोरोना से ठीक हुए रोगी ,कोरोना के इस लड़ाई में सरकार की मदद कर सकते हैं
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